कौड़ी मुद्रा का आधार कोस दूरी का

#कोयतुर

#कौड़ी

#कोस

#मुंदरी

#मुद्रा

#कोड़ी

#कोयतुर_मुद्रा व #कोस (दूरी मापक इकाई) के #जनक

रुपया से पहले क्या? ???

पैसा

पैसा से पहले क्या???

आना

आना से पहले क्या? ???

कौड़ी

कौड़ी से पहले क्या? ??

कौड़ी से पहले

वस्तु विनिमय

#वस्तु_विनिमय व #कौड़ी

#कोयतुर_नार्र व्यवस्था का महत्वपूर्ण कड़ी है।

क्रमबद्ध देखिए कोयतुर उद्विकास में भी मुद्रा में विकास व परिवर्तन ही हुआ है। यह क्रमिक व्यवस्था है। लेकिन कुछ लोग आज इसे पहली या दूसरी साहसिक चमत्कार तक ठहराने पर तुले हैं ।

लेकिन पहले की मूल उद्विकास को बताना नहीं चाहते

#मुद्रा के जन्मदाता #कोयतुर ही है कोया है। क्योंकि मुद्रा की संरचना #मुंदरी से हुआ है। कोयतुर मुंदरी पहनते हैं । जिसमें रत्न नहीं विशेष जीवों के कवच या खोल का प्रयोग होता है। मुंदरी कोयतुर की संपन्नता को प्रदर्शित करती है। यही विशेष खोल आगे चल कर मुद्रा के रुप में स्वीकृति प्राप्त की जिसे #कौड़ी कहते हैं । कौड़ी का मुद्रा के रुप में प्रचलन रही है। कौड़ी #हड़प्पा_मुवनजोदरो_सभ्यता में भी मुद्रा के रुप में प्रचलित होने का साक्ष्य मिलता है जो कि पूर्णतः कोयतुर सभ्यता थी। कौड़ी माला केवल कोयतुर महिलाएं ही पहनती हैं ।कौड़ी माला सामाजिक उद्विकास की एक महत्वपूर्ण जीवाश्म साक्ष्य भी है।  क्योंकि कौड़ी प्राकृतिक परिवर्तनों से नष्ट नहीं होती है। कालान्तर में कौड़ी के माला भी कोयतुर पहनने लगे। कौड़ी कोयतुर प्राचीन अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ी है।कौड़ी आज भी कोयतुर समाज व पुरखा पेनों में बहुत शान से पहनाये हैं ।कौड़ी एक मानक बन गयी । इससे ही एक मानक का निर्धारण हुआ जिसे एक #कोड़ी कहते हैं । कोयतुर कोड़ी से ही गणना करते हैं । कोड़ी से ही बाद में दूरी का इकाई बनी जिसे #कोस कहते हैं । दूरी  को कोस से ही बताया जाता है।
प्रचलित वाक्य भी कौड़ी की प्रथम मुद्रा होने की ओर प्रबलता से बताता है " मेरे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं है" सियान लोग कहते हैं " उस परिवार में पहले कौड़ी कौड़ी धन था" ।
बाद में कौड़ी के स्थान पर #रुपयांग_माला पहनने लगे जिसके बीच-बीच में कौड़ी रहते हैं । छोटे बच्चों के #कनयाडोरी (कमरबंध) में भी कौड़ी व #टिंगो(कांसा से बनी छोटी घुंघरु) कोयतुर बांधते हैं ।

इस प्रकार हम पाते हैं कि कोयतुर ही कौड़ी को मुद्रा की इकाई व कोस को दूरी की इकाई के रुप में प्रयोग किये जो कालान्तर में नये रुप में समाज को दिशा प्रदान कर आज मुद्रा कहलाता है।
इस प्रकार कोयतुर मुद्रा व कोस के जनक हैं।

#कोसो होड़ी

#लंकाकोट

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