ढोलकल मट्टा

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#याया_देय्युरमुत्ते और #बीमालपेन की ठाना ही डोलकल

मिड़कुल नार के नजदीकी पर्वत

कोया समाज के बोगामी कुंदा के सियान के द्वारा जानकारी मिला है क़ी वहा जो पर्वत है मिड़कुल नार की जमीन है  बीमालपेन (भीम राज पेन) की जगह है और उसको डोलकल के नाम से जाना जाता है वहां पत्थर के ऊपर में बैठ कर देय्युर मुत्ते डोल बजा कर नाचती थी इसी लिए बोगामी कोयतुर उस पहाड़ की पत्थर को डोल कल कहते हैं और भीम राज एक दिन देय्युर मुत्ते पत्थर पर बैठ कर डोल बजा रही थी यह सिलसिला बहुत दिनों तक चला तब एक दिन उस समय भीम राज पेन वहा पहुंचा और तबाकू( पोगो) मांगने लगा तो तबाकू नही है बोलने से मजाक करते हुए उसके साथ प्रेम संबंध में बांधने लगा तब जाकर वे एक दुसरे को मुत्ते मुदिया के रुप में स्वीकार किए और उसके बाद पत्थर में नाचना छोड़ कर नजदीकी  गांव  मंगनार गांव में जाकर रहने लगे एक गोडरो मेट्टा के नीचे एक गुफा पर रहने लगी और एक बच्चे को जन्म दी । वही बच्चा बोगामी हुआ वहीं  से भोगामी परिवार का वंश बढ़ने लगा और आज भी भोगामी परिवार के लोग मिड़कुल नार में है वहां के जगह #बुमियार (कोयतुर नार्र के निर्माता) , #पेन सिरहा भी भोगामी परिवार के हैं #देय्युर मुत्ते जब उस पत्थर में डोल बजाते हुए  नाचती  थी उस समय कोई उस तरह की मूर्ति नही थी जब वह से देय्युर मुत्ते मंगनार जाने के कई वर्ष बीत जाने के  बाद कुछ लोग रात को आ कर कहीं से पत्थर लाकर कुछ  मूर्ति बना कर रात ही रात को चले जाते थे । तब गांव वालों को पता चला कि वहाँ कुछ हत पिला कल उसी पत्थर पर रखा गया था जहाँ बोगामी गोत्र की याया दय्युर मुत्ते डोल बजाकर नाचती थी। कोयतुर उस मूर्ति को कोई तवज्जो नहीं दिये । क्योंकि उनकी पुरखा का पेन ठाना उस गुफा में ही वास करती थी। जहां आज भी मंगनार के बुमियार गायता वार्षिक तिहार नेंग में जाकर बाप भीमराज पेन और याया दय्युर मुत्ते की सेवा अर्जि विनती करते हैं । तब से उस पहाड़ को ही कोयतुर डोलकल के नाम से जानते हैं । यह डोलकल नाम दय्युर मुत्ते याया की डोल बजाकर नाचने के कारण पड़ी है। जिसे कुछ वर्षों पहले कुछ लोग गणेश की मूर्ति की जानकारी कोयतुर ग्रामीणों द्वारा दी जाने के बाद उस गणेश को ही ढोलकल के नाम से प्रचारित कर दी गयी है।
कोयतुर पत्रकार तिरुमाल मंगेल कुंजामी की नार्र मंगनार से लौटकर की गयी रिपोर्ट के अनुसार इतिहास की वास्तविक जानकारी ॥
संकलन तिरुमाल Mangal Kunjam

शब्द कोयतुर भाषा
डोल - डोल/ कोयतुर वाद्य यंत्र
कल - पत्थर
मुत्ते - याया/ मां
मुदिया - बाबो/बाप/ पिता
बुमियार- कोयतुर नार्र का जनक
सिरहा- पुरखा पेनों की ऊर्जा संवाहक

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