तलुरमुत्ते याया
कोयतुर नार्र की उद्भव में #तलुरमुत्ते_याया
तलुरमुत्ते
तलुर शब्द #गोण्डी भाषा है जो #तला से बना है तला का शब्दार्थ #सिर से होता है सिर का अर्थ प्रमुख से है
मुदिया= पुरखा बाबो
मुत्ते = पुरखा याया
सारांश :तलुरमुत्ते किसी भी कोया नार्र की #तला मतलब प्रथम या सिर, #मुत्ते अर्थात् संबंधित कोयतुर की पत्नि से होता है। अर्थात् संबंधित गांव की डारा टोड़ कर तोरन बाधने वाले कोयतुर की पत्नी ही #तलुरमुत्ते याया होती है। इसलिए गांयता अर्थात् गांव के निर्माणकारी ही #तलुरमुत्ते_याया की सेवा करते हैं ।
गांयता वह सेवादार होता है जो संबंधित गांव की #डारा_टोड़ने वाला और #तोरण_कीला गाढ़ने वाला का #नत्तुर होता है।
तलुरमुत्ते याया ना सेवा-सेवा
बुमयार्र बाबो ना सेवा-सेवा
कडरेंगाल ना सेवा-सेवा
चिकला याया ना सेवा-सेवा
कुटामुदिया ना सेवा-सेवा
बोमड़े मुत्ते ना सेवा-सेवा
फोटो : तिरु विसनु पद्दा कोयतुर पाटालीर ,लंकाकोट, कोयामुरी दीप ।
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