कोयामाटा

" गोंडी भाषा / लिपी परिचय "
------गोंडी भाषा का उद्गम ……
अमरकोट के दक्षिण की ओर 'नर-मादा'(नर्मदा)के महापुर में डूबते एक युवक को 'संभूशेक'ने नदी में कूद कर बाहर निकाला। युवक की धमनिया चल रही थी लेकिन वह अचेत अवस्थामे था।उसे होश में लाने हेतु जमीन पर लिटाकर संभुसेक ने अपना 'गोएण्दाडी'(डमरू,डुगडुगी,Pellet Drum)उसके कान के पास बजाना आरंभ किया।जैसे जैसे डमरु की आवाज उसके कानोमे गूंजती गई,वैसे वैसे उसकी चेतना लौट आते गई। डमरु के आवाज के सुर जैसा ही उच्चारण करने का/आवाज निकालने का प्रयास वह युवक करने लगा और 'गोएण्दाडी'(गोंडी)वाणी /भाषा की रचना उस युवक ने की। वह युवक था,गोंडी पुनेम के मुठवापोय पहांदी पारी कुपार(पहांदी वृक्ष के फूल से जीवदानित)लिंगो (लम्बेज Language शोधकर्ता )।...
         गोंडी भाषा भारत के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात आदि राज्यो में बोली जाने वाली भाषा है।[ऑस्ट्रेलिया के कुछ संभागो मे भी बोली जाती है !]
यह दक्षिण-केन्द्रीय द्रविडी भाषा है। इसके बोलने वालों की संख्या लगभग २० लाख है जो मुख्यतः गोंड हैं। लगभग आधे गोंडी लोग अभी भी यह भाषा बोलते हैं। गोंडी भाषा में समृद्ध लोकसाहित्य, जैसे विवाह-गीत एवं कहावतें, हैं।
गोंडी भाषा गोंड आदिवासियों की भाषा है। यह भाषा प्राचीन काल की भाषा है कहा जाता है कि जब पृथ्वी का उदगम हुआ और इस पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म हुआ तब यह भाषा का भी जन्म हुआ। सर्वप्रथम पारीकुपार लिंगो ने इस भाषा को और भी विस्तारित किया। तत्पश्चात अनेक भाषाविद महापुरूषो का इस धरती पर अवतारण हुआ और भाषा का रूपातंरण भी होता रहा है।
गोंडी, तेलगू, तमिल, मलयालम, संस्कृत, कन्नड, मराठी, उडिया, हिन्दी, अंग्रेजी और अनेक भाषाओं का रूप धारण कर लिया। और आज इस भाषा को बोलने वाले की संख्या भारत और आस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों में गोंडी भाषा बोलचाल के रूप में प्रयोग हो रहा है। भारत के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़िसा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक में जनजातिय क्षेत्र में लाखों की संख्या में गोंडी भाषा को दैनिक बोलचाल के रूप में लाया जाता है। गोंडी भाषा विश्व के भाषाओं में गिनती की जाती है गोंडी भाषा का सरकारी अभिलेखों में उपयोग नही करने की वजह से अब धीरे-धीरे यह प्राचीन भाषा प्रायः विलुप्त के कगार पर खड़ी है। और धीरे-धीरे धरती की धरातल से गोंडी भाषा अब समाप्ति की ओर है किन्तु इस भूभाग की प्राचीन भाषा की विस्तार के लिये गोंडवाना मुक्ति सेना प्रमुख दरबूसिंह उइके ने विगत कई वर्षों से गोंडी भाषा की प्रचार-प्रसार में जुटे हुये है। गोंडी भाषा को गोंडी लिपि में बालाघाट जिले के भावसिंह मसराम ने वर्ष 1957 में प्रकाशित किया था उक्त लिपि को व्यापक रूप से समर्थन मिल रहा है। और जो लोग गोंडी भाषा को नहीं जान पाये थे अर्थात भूल गये थे, अब सीखने और जानने का प्रयास कर रहे है।
गोंडी भाषा का एक उदाहरण:
कोयटायण खण्डाक ता नालूंग भीड़ीना नालूंग कोर।
कोया पुनेमता सूर मिर्कीले कुपार लिंगो वलीतोर।।
कोयमूरी दीप ता खण्डागे उम्मो गुटटा येरगुटटा कोर।
सयमालगुटटा अयफोका गुटटा नालूं भीडी नांल्परोर।।
डंगूर मटटांग ढोडांग वलीतार कोडापरो आसी सवार।
लिंगो बाबा नीवा जयजोहार जयजोहार जयजोहार।।
लिपि
गोंडी प्रायः देवनागरी तथा तेलुगु लिपियों में लिखी जाती है किन्तु इसके लिए गोंडी लिपि भी मौजूद है। गोंडी लिपि की डिजाइन सन् १९२८ में एक गोण्ड ने [ रंगेलसिंह भलावी ]ही की थी। सप्ताह के दिनों के नाम*, महीनों के नाम*, गोण्ड त्यौहारों के नाम* गोण्ड लिपि में प्राप्त हुए थे।
* इसी संकेतस्थल पर अन्यत्र उपलब्ध .....
अधिकांश गोण्ड लोग अशिक्षित हैं अतः कोई लिपि प्रयोग नहीं करते।
(मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से)
         अंग्रेज राजमे,सन १८८१ की जनगणना मे प्रथमता Gondiyans नजर आए(फिलहाल हुए जनगणना में,१३०साल बाद Gondiyans की संख्या कितनी है ?). मानववंश दृष्टीकोनसे १८८१ से इस संबंधमे पूर्व प्रमाण उपलब्ध नही है.हमारा साहित्य/भाषा केवळ मौखिक स्वरुप मे है,जो अस्तंगत होने की दिशा पर है.सन १९७१ में ९३.१९ लाख थी। सन २०११ कि अस्थायी संख्या पता हो तो जरूर पोस्ट करे।
प्रथम 'गोंड'इस शब्द की व्याप्ति,उत्पती, परिभाषा और विग्रह की ओर ध्यान दे.'गोंड'=गो +अन्ड .'गो 'अर्थ पृथ्वी और 'अन्ड' अर्थ पुत्र,अर्थ पृथ्वी पर जो प्रथम मानव समाज उत्पत हूआ ,ऊसे कोयतूर/गोंड ऐसा नामाधिमान दिया गया. गोंड, कोई एक जाती /जमाती न होकर एक व्यापक समाज है,.जिसमे निम्न जमाती सम्मिलित है -
-गोंड -
१)पाला,२)राज,३)ओझा,४)सरोत्या,५)डोरली,६)माना,७ )मोरीया,८)असूर,९)धुलीया,१०)गायता,१ १)कोपा,,१ २)कांदरा,१ ३)कलंगी,१४)काटोला,१५)नागरच्या,१ ६)सोनझारी,१७)झरेका,१ ८)थोट्या,१९ )कुल्डा,२०)वाडे,२१)पाटाली,२२)पारजा,२३)भूमिया,२ ४)ढोली,२५)दलवी,२६)धूर,२७)कोर्का,२८)परजा,२९)भूमका,३०)भतरा,३१)झलेरीया,३२)पुरविया,३३)सुरजा,३४)कोडया,३५)दंडमा,३६)नागांसी,३७ )आगार्सी,३८)भातोळा,३९)भुतीला,४०)भिमाल,४१)कुम्माल,४२)गत्ताला,४३)कोला,४४)कोलावार,४५)कोल्यात्या,४६)अरुखवा,४७)भूपियाल.यह जमाती १२ Pharatry(Group/सगागणमें ७५० उपनामोसे) वर्गीकृत रहने पर भी इन्हो मे समान गोत्र ,सगापारा,७५० गोत्रोकी व्यवस्था विद्यमान है.इसलिये समान गोत्र ,समान सगापारा,समान सगागण मे (madming) विवाह वर्जित है। 'परधान'इस समुदाय में क्यों सम्मिलित नहीं, इस प्रश्नका मेरा अबतक समाधान नहीं हुआ। .
"७५०"का समाधान मुझे मिला वह संकेतस्थल पर प्रदर्शित है।
भाषा के सम्बन्धमे,मै कहना चाहुंगा के गोंडी पर प्रादेशिक भाषा का परिणाम वांछित है.लेकिन लिपी के संबंध मे मेरा समाधान नही हो रहा था,
गुलझारजी कर दिया। धन्यवाद गुलज़ारजी। …… इस संबंधमे आपके कार्य की जितनी सराहना करे उतनी कम है।
फिरभी मेरे विचारसे प्रथम "गोंडी"भाषा सिखणी /सिखानी चाहिए बाद में लिपि !अगर इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाये गए तो यह भाषा उसकी अन्य उपभाषा के साथ लुप्त होनेमें समय नहीं लगेगा।
प्रथम गोंडी भाषा सीखनी चाहिए। लिपि बादमे सिखी जा सकती है। भाषा आती नहीं तो लिपि का क्या करे?वह नक़लही होंगी!
कोई भी शिशु प्रथम भाषा बोलता है,उपरांत उसकी भाषा लिपिबद्ध होती है।
' गोंडी'भाषा सीखनेके लिए निम्न पुस्तके जरुर पढ़े।
1)Gondi Phrase Book A5 full~Telgu,English,Hindi & Kolami
2)Learner's Phrasebook~English,Gondi,Telgu-By Pendur Durnath Rao,Mark and Jonna Penny
3)Books on the subject available in Gadchiroli(usefull to maria speaking/knowing/population)
If,I am not wrong these books are available on''Gondwana friends "site ,posted  by me. Kindly download,share and study.

-संकलन/संपादन माणिकरावन कौरथी,खरांगणा
जय सेवा …….

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