होड़ी लोर ना जागा

सन्तू सोरी द्वारा लिखित
हे  कोयतूरसगाजन पोड़दगुमा के बारे मुझे  भी पता नहीं  था जब मेरे साथ रचना चालू  हुआ     तब  से पता चला कि इस धरती    का रचना देव/पेन  रचना  प्रमुख  रूप से पोड़दगुम और   नाँगवशीय  ही किए हैँ। रही बात मँडा की मुल मँडा को छोड़कर बोकडा़बेडा़ मँडा बनाये हैँ। इस मँडा  के प्रमुख  आँगा पाट मुसर/गुटाहुँगाल,खूँटामुदिया ,रनकुवारीपाट , और माता मे प्रमुख  गढ़ मावली , गढ़बुडी़ , गढ़हिँगलाज, बोमडे़मुयताड़, और  राजाराव ये  प्रमुख  गढ़ के और मँडा के भी  हैँ।हमारे  टोटम बाघ  है, देव कौडी़/पेनकौडी़ १६ दोगानी है,पेड़  मे पीपल है, बरगद, और पिटे  मे होड़  पियो पिटे है , कलर पीलाऔर  सफेद  है।  पोड़दगुमा मे सेवा पुजा पूरब दिशा  है,  हमारे गढ़ मँडा मे १२,१६ भाई , १२ मानेय, १२सगा और  एक  अको काको पावे के रूप मे नाँगवँशी   विषम गोञ वाले ७दोगानी वाले  भी बैठने का है, लेकिन ऐसा नहीं  हो रहा  है।बघेल सोरी लोगो को भी  पता नहीं है कि हमारा गढ़ किला कहाँ  है।हमारा  गढ़ किला, टोँडा, मँडा, और कुँडा गढ़  किला मे ही होँगे । जड़  का पता  वही से होगा  ।सोरी लोग जहाँ  -जहाँ  गए  वहाँ  अपने हिसाब से मँडा के रूप मे मानने  लगे  हैँ ।मेरे  विधि  के अनुसार प्राकृतिक  आदेश के  अनुसार यह जानकारी दे रहा हूँ। बाकी आमने  सामने   मिलने  पर   चर्चा  करेँगे।  तब पोड़दगुमावँशीय लोगो  का असली  राज प्रमाणित  सहीँतबतापाऊँगा  ।

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