पुनांग तिन्दना

पुनांग तिनदना दिया ता पल्लो
साभार नारायण मरकाम आजो की लेख से

🙏पुनांग तिन्दाना पंडुम (नवाखाई महापर्व)🙏
"बस्तर संभाग के द्वारा 22/23 सितंबर मंगलवार को घोषित "
विज्ञान, अर्थशास्त्र और दर्शन के सबल पक्षों को एक साथ प्रतिबिम्बित करता हम मूल निवासियों का यह नवाखाई महापर्व अपने अदभुत व आश्चर्यजनक विशेषताओं के साथ इस पृथ्वी पर "जीवन" के लिए आपस में लड़ झगड़ रहे "विज्ञान ""अर्थतंत्र " और वर्तमान तथाकथित महान "धर्मों " को अपने आडम्बरों को छोड़ "कोया पुनेम " के प्रकृति सेवा मार्ग में चलने को प्रेरित करता है. . . . . . मलेरिया परजीवी के उन्मूलन के नाम से आज आधुनिक मानव लम्बे चौड़े प्रोजेक्टो के माध्यम से अरबों डॉलर खर्च कर "डी.डी.टी" जैसे जहरीले रसायनों का अनुप्रयोग कर मानव के साथ ही पर्यावरण के लिए ही गम्भीर खतरा पैदा कर रहा है ---- वहीं अनपढ़ असभ्य जगंली कहलाने वाले आदिवासी समुदाय अपने " गोटूल एजुकेशन सिस्टम" में सीखे "कोयतोरिन टेक्नोलॉजी " के माध्यम से इस "नवाखाई पर्व " में मच्छरों के प्रति "महाजागरूकता अभियान" सदियों से चलाते आ रहे हैं. . . जिसमें मलेरिया रोधी "नेसमेह" वनस्पतियों के सहारे मच्छरों के पनपने वाले जगहों से मच्छरों को भगाया जाता है. . . . ओ भी "डया डया रा लूले पाटा"(भगो भगो ऐ मच्छर:-- )वाले मनोरंजक गोडी गीत गा गाकर ---- यही नहीं हे मेरे महान परावैज्ञानिक "डीएनए धारी" मेरे मूल निवासी सगाजन --- इसी पवित्र त्योहार में "टी बी " /खासी जैसे जीवाणु जनित संक्रामक बीमारियों से बचाने कोयतोरिन तकनीकी के पवित्र " कोरई"/कुड़ई /कोरिया के पत्तों में बच्चे, बूढ़े, महिला, पुरुष सभी एक साथ पुर्वजो के नाम लेकर " गोडी में पुना पुना ---" के उच्चारण के साथ कृषि विकास के प्रथम चरण " गोडूम डिपा " में उत्पादित प्रथम धान्य फसलों से प्राप्त भोज्य पदार्थ को ग्रहण करते हैं. . . . गौरतलब है कि चिकित्सा विज्ञान भी यह मानता है कि सितम्बर माह में (बरसात के कुछ कम होने के बाद ) मच्छरों व संक्रामक जीवाणुओं का आक्रमण बहुत ज्यादा होती है. . . . इसलिए नवाखाई के इस गोण्डवाना त्योहार में भी इससे मुकाबला करने एक ही दिन , लगभग एक ही समय एक साथ इन पवित्र (वर्तमान में भी इन वनस्पतियों से दवाईयां निर्मित हो रही है ) वनस्पतियों के सहारे इन बिमारियो से मुकाबला करने का पुनित उद्देश्य जोड़ा गया है. . . . . . उनके आडम्बरों से भरे त्योहारों से अलग हम आदिवासीयो के हर आयोजन किसी निश्चित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होते हैं. . . . . लेकिन आधुनिक तकनीक के घमंड व वर्तमान तथाकथित महान धर्मों के मठाधीशों के द्वारा रटाए आडम्बरों के पाठ से रचे "लिखे पढ़े " लेकिन प्रकृति के स्कूल के अनपढ़ मानवों को हमारा हर त्योहार अंधविश्वास ही नज़र आती है. . . . हमारा यह लड़ाई सिर्फ अपने समुदाय के लिए ही नहीं अपितु पुरी दुनिया में मानव व प्रकृति को बचाने के लिए भी है हमें गर्व है कि इस पुनित सेवा के लिए प्रकृति ने हम कोया पुनेमीयो को चुना है . . . . . . . . . इस महान त्योहार को संक्षेप.मे हम इस तरह समझ सकते हैं . . . . . . . . . . . . . . . . 💐. गोण्डवाना के पवित्र "गोण्डुम डिपा "(पृथ्वी पर कृषि विकास का प्रथम बिन्दु ) में प्रथम धान्य फसलों को अपने पूर्वजों को अर्पित करने . . . . . .💐 हड़प्पा मोहनजोदड़ो जैसी सभ्यताओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पवित्र "को " से " कोंदाल " ( बैल ) के सम्मान् में. . . . . . टीबी /खासी जैसे संक्रामक बीमारियों से बचाने . . . . . मलेरिया महाजागरूकता अभियान के द्वारा मानव समुदायों को सुरक्षित रखने. . . . . 💐महान मौसम विज्ञानी भिमा लिगों पेन के सम्मान में. . . . जहरीले जीवों व खाज खुजली से बच्चों को बचाने के उपकरण पवित्र " गो " से " गोण्ड़ोन्दी " ( गेड़ी ) का सम्मानपूर्वक विसर्जित करने . . . ."मेन्ज" के माध्यम से "गोटूल " युवाओं को "पुत्ती " व ब्रहमाण्ड के रहस्यों से परिचित कराने .. 💐. मूल निवासियों को " स्वर्ग नरक के घनचक्कर " से बचाकर "पेन अमरत्व " का एहसास कराने . . . भावी "बहु" को नवाखाई महापर्व में विवाह पूर्व आमन्त्रित कर उसे उसके "भावी घर" के समस्त परिवार व परिवार के विधि संस्कार को समझने का मौका देने --- "तलाक"/दहेज प्रथा /भ्रुण हत्या जैसे कुरितियो से दुर रखने --- उच्चतर स्त्री शिक्षा की सीख आदि देने. . . . . . . . गोण्डवाना के पवित्र " गो " शब्द से निर्मित " गोडान्ड़ी" (हुल्कि पर्रांग) के संगीतमय तरंगों से हम आदिवासीयो को एकजुट करने . . .आदि आदि अनेक सीख व संदेश देता हमारा यह नवाखाई महापर्व! !!🌺
आप सभी को पुनांग तिन्दाना पंडुम की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ. . . . . . . . . . . . . . . . . . आप सभी को बहुत बहुत जय भिमा लिगों! जय जंगो! जय सेवा! प्रकृति सेवा!
💐(नारायण मरकाम संयोजक के:बी.के.एस.)🙏💐

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