गोण्डवाना लेण्ड व गोण्ड
-----गोंडवाना महाद्वीप एक ऐतिहासिक महाद्वीप था। यह प्राचीन वृहत महाद्वीप[1] पैन्जिया का दक्षिणी भाग था। इसका उत्तरी भाग 'लॉरेशिया' कहा जाता था। गोंडवाना महाद्वीप का नाम एडुअरड सुएस ने भारत के गोंडवाना क्षेत्र के नाम पर रखा था। गोंडवाना भू-भाग आज के समस्त दक्षिणी गोलार्ध के अलावा भारतीय उपमहाद्वीप और अरब प्रायद्वीप, जो वर्तमान मे उत्तरी गोलार्ध मे है, का उद्गम स्थल है। आज से 13 करोड़ साल पहले गोंडवाना महाद्वीप के टूटने से ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका और भारत का निर्माण हुआ ।
'गोंडवाना' नाम नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित प्राचीन गोंड राज्य से व्युत्पन्न है, जहाँ से गोंडवाना काल की शिलाओं का सबसे पहले विज्ञान जगत को बोध हुआ था। विज्ञान यह बताता है कि करीब 50 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी पर दो महा-महाद्वीप ही थे। एक का नाम 'गोंडवाना लैंड' रखा गया और एक का 'लॉरेशिया'। गोंडवाना लैंड दक्षिण गोलार्ध में था और उसके टूटने से अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका और अफ़्रीका महाद्वीप बने। गोंडवाना लैंड के कुछ हिस्से लॉरेशिया के कुछ हिस्सों से जुड़ गए, जिनमें अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप हैं। गोंडवाना लैंड का नाम भारत के गोंडवाना प्रदेश के नाम पर रखा गया है, क्योंकि यहां गोंडवाना लैंड के शुरुआती भूगर्भीय प्रमाण मिले थे। दो नए द्वीप मिलने से यह पता चलता है कि ये द्वीप भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच गोंडवाना लैंड की भूमि के हिस्से थे, जो भारत से अलग होने की प्रक्रिया में बने।
--------"गोंडवाना ऐसा शब्द है जिससे गोंडियनों के मूल वतन का बोध होता है, गोंडियनों की जन्मभूमि, मातृभूमि, धर्म भूमि और कर्मभूमि का बोध होता है. उनकी मातृभाषा का बोध होता है. फिर वे कोई भी गोंड हो, चाहे कोया गोंड हो, राज गोंड हो, परधान गोंड हो, कंडरी गोंड हो, माड़िया गोंड हो, अरख गोंड हो, कोलाम गोंड हो, ओझा गोंड हो, परजा गोंड हो,बैगा गोंड हो, भील गोंड हो, मीन गोंड हो, हल्बी गोंड हो, धुर गोंड हो, वतकारी गोंड हो,कंवर गोंड हो, अगरिया गोंड हो, कोल गोंड हो, उराँव गोंड हो, संताल गोंड हो, कोल गोंड हो, हो गोंड हो, सभी गोंडवाना भूखंड के गणराज्यों के गण, गण्ड, गोंड तथा प्रजा है.
गोंडवाना भूभाग के गणराज्यों में मूल रूप से तीन भाषाएँ बोलने वाले गोंडियनों की प्रभुसत्ता प्राचीन काल से ही रही है. भील, भिलाला, पावरा, वारली, मीणा यह भिलोरी भाषा बोलने वाले भीलवाड़ा एवं मच्छ गणराज्यों के गण्ड तथा गोंड है. कोया, कंडरी,ओझा, माड़िया, कोलाम, परजा, बिंझवार, बैगा, नगारची, कोयरवाती, गायता, पाडाती,ठोती, अरख आदि गोयंदाणी भाषा बोलने वाले गोंडवाना गणराज्यों के गोंड तथा गण्ड हैं.कोल, कोरकू, कंवर, मुंडा, संताल, हो, उराँव, अगरिया, आदि मुंडारी अर्थात कोल भाषा बोलने वाले कोलिस्थान गणराज्य के गण्ड तथा गोंड हैं. जिस गणराज्य के परिक्षेत्र को वर्तमान में झारखंड कहा जाता है. इस तरह गोंडवाना भूभाग के गणराज्यों से गोंडियनों की मूल मातृभाषाओं का बोध होता है. गोंडियनों के प्राचीन प्रशासनिक इतिहास का बोध होता है. गोंडियनों के सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक मूल्यों का बोध होता है. इसलिए"गोंडवाना" यह शब्द गोंडियनों की अस्मिता एवं स्वाभिमान बोधक है."------
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