सन्तू सोरी ना कोटले

[9/21, 11:36 PM] Santu Sori: हे कोयतूरसगाजन हमें  सबसे पहले अपने खुद के  घर के पुरखा पथियोँ  को जानना बहुत  ज़रूरी  है । गोञ ,कुल के टोटम,देव कौड़ी / दोगान,टोँडा, मँडा  , कुँडा,वृक्ष  एवं पक्षी  को जानना अतिआवशयक है। फिर गांव /नरं के बारे  जानेँ , इस धरती  मे कोई  भी  गाँव/ नार्र बिना भूमियार  के नहीं  बस सकता है। भूमियार ही वहाँ के खूँटा  बुटा काटकर पारा टोला मिलकर गाँव/ नार्र  बनता है।उस गांव / नार्र के मठियारीन/  जिमिदारीन का  तोरण डिही डोँगर का तोरण प्रथम मे खूँटा   बूटा   काटकर गांव  बसाता है,वही  गांव  का प्रथम पुरूष  तोरण मारता है। मठियारीन /जिमिदारीन माता की रचना भूमियार  करता  है। माता भी  भूमियार के बिना नहीं  सँचालित नहीं  हो सकती है। कोई भी  गांव  मे बाहरी  चारा चरने  वाले पहले भूमियार को फिर मठियारीन माता  को  पूछ कर ही उस गांव  मे बसना या कोई काम आदेश मिलने पर करते हैँ।  गांव  के प्रमुख  :माटी भूमियार, मठियारीनमाता, माटी (तल्लुरमुते  कडरेँगा),जिवराँज,  एहराँज, भीमाल, भैंसासुर, बुढा़रव, दंड  राव ,कन्या ,कोडो एवं डुमा डैना,पथियार  इतियादी  प्रमुख   होते  हैँ  ।
[9/22, 7:20 AM] Santu Sori: हे कोयतूरगाजन अनमदेवराजा बस्तर  रियासत  मे १३१३ मे कदमरखा और  यहाँ  के मूल माटी गांयता,पेड़मा लोगोँ से संपर्क  किए और उनसे बोले  मै यहाँ  पर शिकार करने आया हूँ,इस तरह धीरे-धीरे पोड़दगुमावँशीय  और  नागवँशीय राज गांयतओँ को राजगाँयताओँ के  साथ दोस्ती   कर बस्तर रियासत के असली राज   को जाना फिर अपना मोहमाया जाल मे फसाते गए फिरअपना फार्ममूला फिटकिया । नाँगवँशीय भी उनके साथ था,जबराजकरने के लिए राज गदी मे बैठने का समय आ गया तो सबसे पहले राज गांयताओँ के पास आये ,बस्तर के पोड़दगुमावँशीय मे दो गोञ के  थे (१)  होड़ी/सोरी और (२) कोर्राम  ये दोनों  ही बस्तर रियासत के कणॅधार थे, भीतरी गांयताऔर बाहरी गांयता के रूप मे दोनो प्राचिन देव /पेन भूमि की राजधानी बडे़डोँगर मे दोनों  राज गांयता संचालित करते थे, उनके बिना राज गदी नहीं  मिलती थी,सबसे पहले ये दोनों  राज गांयताओँ को अपना वश मे कर लिए फिर उनके  हाथों से राज तिलक राजधानी बडे़डोँगर मे लगाने बोले यह सत्य  है।  लेकिन शिकार करने  से लेकर आज   तक हमारे बीच राजाबनकर राज कर रहे  है , राज तिलक  लगानेवाले गांयताओँ का राज  लुप्त हो गया है । अनमदेवराजा   से अब तक २२पीढी़ गिनाते हैँ। उसमे से ११ राजाओँ के रानियोँ के सरनेम बघेलीन अंकित  है, और बघेल पोड़दगुमावँशीय केअंतरगॅत गँड मे होडी़/ सोरी लोग ही बघेल वंश लिखते हैँ। वो चाहे कोई भी  जाति के रहे ,शुरू मे पोड़दगुमा गँड रहे हैँ।
[9/22, 9:26 AM] Santu Sori: जगतू बघेल से जगदलपुर , यह  बस्तर के  मूल निवासी  बघेल पोड़दगुमावँशीय माहर/ महरा जाति के थे, शुरू मे गँड ही  थे।  जगदलपुर  मे कु़० कन्या   को  जो शक्ति  सवार होती है ,वह बघेल  वँश की है । माहर जाति की है।  और  शक्ति  के रूप मे उसी कुल के कुँवारी शक्ति शाली कन्या  के मृत  शरीर  के जीवातमा  है।
[9/22, 1:49 PM] Santu Sori: हे कोयतूर सगाजन जिस दिन बस्तर  माटी  के बैलाडिला पहाड़ के लोहा  एवं खनिज  बाहर भेजते -भेजते  अंतिम  होगा उस  दिन  से बस्तर धरती    मे आहाकार , महामारी ,कईआतँग  हो  सकता है ,प्राकृतिक संकेत। जय प्राकृतिक  शक्ति  बडा़देव !
[9/22, 9:17 PM] Santu Sori: हे कोयतूर  सगाजन एवं प्राकृतिक शक्ति  बडा़देव/पेन के प्राकृतिक नियमोँ  का पालन  करने  वाले  : ये है प्राकृतिक नियम :- प्राकृतिक  शक्ति / मानव के ३संसकार :- जन्म , विवाह  एवं   मृत्यु  संस्कार  ये तीनोँ संस्कार प्राकृतिक शक्ति  एवं प्राकृतिक  नियम से जुडा़ है । देव गण/पेनगण/ मानवगण से चली आ रही है , इसमें  गँड जाति/कोयतूर के मूल  जाति  हर  काल/समय मे  कुछ १२ भाई /१२मानेय/१२ जाति  जो कि  देवगण/पेनगण काल से नियम  का पालन करते आये हैँ लेकिन हर काल मे प्राकृतिक  नियमोँ से हठ कर बाहुबली नियमोँ को अपनाते  गए हैँ। इस तरह कई जाति  मे वर्गीकृत  होकर प्राकृतिक नियमोँ से हठते गायें  हैँ,आज यहाँ तक पहुँचा है । मूलकोयतूरसगाजनोँ मे प्राकृतिक नियम प्राकृतिक  से जुडे़ हैँ ,एरिया विशेष  मे कुछ  बदलाव  जरूर  हुआ  है। हमे १२मानेय  को देवगण/पेनगण सेअब तक समझना पडे़गा  कौन -कौन गँड जाति  के उप जाति   हैँ  ? इसको ठीक  करने से सब ठीक हो जायेगा। प्राकृतिक  धर्म ,  देव धर्म /पेन धर्म  , मानव धर्म , कोयतूर धर्म , गँड धर्म  जो सभी  जाति    को अछा लगे उस  धर्म  को प्राकृतिक  से जोड़ना चाहिए ।और  हम  मानव  को  उस  धर्म  के अनुसार  ही  चलना   चाहिए  । जय प्राकृतिक  शक्ति   बडा़ देव ! जय दनाय,मनाय, सोनाय ! जय मानव सेवा !
[9/22, 9:51 PM] Santu Sori: हे  कोयतूर सगाजन  ये शक्तियोँ  को जानेँ  :-  सिरकटा  इसका  सिर  को  अलग कर दिया  गया  है। मढी़  मसानगुनवाला (चितोड़गढ़)से यहाँ  पुरखाओँ  के साथ सामानतर चलता  है ।  (२) टेटो रानी :- यह मिषरित मुस्लिम  शक्ति  शाली ,छल कपट  करनेवाली महिला  थी,तँञ विद्या वाली है, काला कपड़ा ,काली चुडी़,लाल  कपड़ा  और  आधुनिक  सृँगार इनके  प्रमुख  पोसाक है।यह जो भी  रखना चाहेगा उसके साथ चली जाती  है, घर बाडी़,खेत लखलखाती है लेकिन  बदले मे काला बकरा, कारीकपिल, काली मुर्गी, लाल भाजी , भेढा़  इतियादी बली  की माँग  करती है । उसकी  माँग  पुरी नहीं  करने  पर मानने वाले कुल  को  माइनस(----)करती है। तरह --तरह के  पेरन उस  घर परिवार  मे  चालू  करती  है । और धीरे-धीरे  उस परिवार को नाश  कर  देती  है।यह सत्य   है।मेरा मतलब हम  किसको  मान कर  रहे  हैँ  । कोयतूरोँ को माया जाल मे  फसा चुकी  है।  यह मोह माया  जाल वाली है। इसके  माया  शक्ति   से बस्तर को अपना वश मे  कर ली है।कोयतूर सिरह गुनियाओँ को आपस मे  लडाने  मे माहिर रहती   है  परिवार को  लडा़ने मे  सफल  रहती  है।इसके  भी अनेक नाम  है।यह इसलाम  मूल की है काला  जादूगरी  से  परिपूर्ण   है वाँरगल होते हुए बस्तर माटी मे जम चुकी है और  रँग  चुकी  है , तभी  तो सभी उनके प्रति झूकते  हैँ ।
[9/22, 11:41 PM] Santu Sori: गफावाली:--- के अनेकों  नाम :- डोकरीदेव ,गफागोसिन, गोडि़न देवी ,पेँडरावँडिन ,बड़े देव इतियादी नामो से  बस्तर मे  जानी  जाती   है। यह प्राकृतिक  शक्ति बड़ा  देव से  भी   छल कपट मे आगे  है ।कोई  मानव बड़े  देव भी  कह दिया   है, यह कहना गलत है।यह शक्ति  प्राकृतिक  शक्ति  बड़ा  देव के कई  युग के  बाद बहुत   पीछे  इस  धरती   मे आई है,इसके साथ निगेटिव  शक्ति वाले बहुत  से गण हैँ, जैसे :--नानही जीव,टोनही,सिद्धो,और  सोदे इस तरस २१--३२ बहना होते हैँ, इनका प्रमुख  कायँ बडा़देव के विपरित निगेटिव  काम  होता है। इसका  आना  बाना  है :-- गफा,कौड़ी  साबल,चिटकुली, रूपये, कालाकपडा़, कालीचुडी़,लाल कपड़ा  लालचुडी़,और आधुनिक  १६सृँ?गार  इनके  प्रमुख   पोषाक एवं  बाना है। गफावाली देवी  के रूप मे आई   थी। इस मकसद  से कि  जो भी  इस धरती   मे करम,मेहनत  करेगा उसका कोठी  भरने के  लिए   रचना हुई   थी ,लेकिन मतलबी  मानव एक  दिन उसको गफा भर्ती  के लिए ज़बरन अपने पहला  संतान  को बक्सी किया   इसका  मौका  का फैयदा उठाते हुए उसका  गफा तुरंत   साईड   वाले  भर्ती करदिए,इस तरह उस परिवार  को बकसी के अनुसार पहला सँतान  का बली उस गफा  मे चडा़ दिए उस दिन  से धीरे-धीरे  सभी  जगह  बात  फैल  गई  कि ऐसा      करने   से  धन  प्राप्ति   शीघ्रता  से होती  है । उसीदिन  से गफावाली  धरती  मे बदनाम हो गई । यह सिद्धो के साथ सहेली   हो गई।गलत सिद्धो   करती है  बदनाम  गफा वाली होती है। यह फूल पान वाली  थी मानव लालच ढल गई कि आज काली   बरई ,कालाबकरा, कारीकपिला,काली मुर्गी  भेढा इस तरह  सभी जीव जँतु का बली लेती  है।अब  तो  खून देने ही धन पान मे लखलखाती है नहीं  देने  से  वंश नाश कर देती है। यह शुरू मे नेताम गोञ मे उतरी  थी , नेताम और  मरकाम मे रोटी  बेटी  लेन देन  से मरकाम  गोञ  मे भी   आगई  ।एक काल मे मरकाम लडका (हैँडीकेप) को नेताम गोञ मे लमसेना रखे थे  ,उस नेताम गोञ जब मुँडा बाँदते--बाँदते  थक गए मुँडा का मेड़  नहीं  भरता  था  उस  देवी के छल  कपट  के कारण नहीं  भरने  से उस घर लमसेना को  मेड़   बादने  के लिए  बली चढ़ा दिए ,उस  समय उनकी  होनेवाली बीवी  नहाने  गई  थी  लड़की उससमय माँसिक धर्म   मे थी नहाने के बाद  घर  मे  आने से एहसास  हो गया   लड़की  सीधा  मुँडा  बादने वाले मेड मे खिंचाव   हुआ   हाथ के ऊगली से टकराई घर से हल्दी  ला कर एक  दुसरे की  ऊगली मे लगाई और उसी मुँडा मे समाधि   हुई। ठीक  हालत नहीं  थी लडका  और  लड़की   कुवारी होने  के कारण शक्ति   जगने से सताने लगा  ,नेताम परिवार मुसिबत मे पड गए  सोच विचार कर दोनों जीवातमाओँ  देव/पेन शादी कर घटनास्थल  के पास ही नदी किनारे गुडी़बनवाकर के दोनों  को  मानकारी  करने लगे,इस तरह गफा मे अनगिनतनर बली चढ़ा है,साधरण  बली मे सँतुषटी नहीं  होती है । यह पेँडरावँड गांव  का घटना है। मरकाम  लडका   को  झिटकू डुमा याखोडि़या पाट  के रूप मे  माना जा रहा है और  लडकी को गफावाली के रूप मे मानते  हैँ। लालच मानव को कहा  से कहा और  किया  से किया  करवाता  है यह सची घटना  है। जय  प्राकृतिक  शक्ति  बडा़देव!  जय दनाय  , मनाय,सोनाय  !
[9/23, 1:15 AM] Santu Sori: हम  पोड़दगुमावंशीय  हैँ, टोटम  बाघ है , प्रमुख  देव/पेन मुसरदेव/पेन, आँगा के रूप  मे खूँटा मुदिया ,  राव मे  राजाराव   , और  माता मे गढ़  मावली, गढ़  बुढी, बोमडे़मुयताड़ हैँ। यादरखिएगा   कि धरती   का पहला आँगा मुसर देव/पेन ही है,इसेगुटाहूँगाल भी  कहते  है ।
[9/23, 1:36 AM] Santu Sori: बारसूर नाम से पता चल रहा  है कि यह देवताओँ का  /पेनोँ  का ,सुरोँ  गढ़  था । बस्तर रियासत  मे पोड़दगुमवंशीय  और नागवंशी  सम और  विषम गोञ मे  रोटी  बेटी  का लेन देन  था।  नागवंशीय  पोड़दगुमा  शँभू  के  उपासक  थे । इतिहासकारो ने पोड़दगुमा  छोड़कर
[9/23, 2:09 AM] Santu Sori: पोडदगुमा  का लेख नहीं  किए हैँ, केवलचिञकारी को देख कर लेख  किए है। ९,११वी सदी  के चिञकारी है, हमारा इतिहास  इससे भी   प्राचिन है।जहाँ --जहाँ  गुडी़, मदिर बना है ये सब उल्टा  दिशा  मे सेव पूजा करने  का बनाए है, यह कोयतूर विधि   से हठ कर   है ,कुछ सही दिशा है।  यह  मुस्लिम  धर्म   के विधि   से बना है,उनका  ही उल्टा दिशा  होता है। मुझे  एक  भी  मदिर मेअरजी नहीं  देता हैऔर ना खींचता है।मामा  भाँजा मदिर  मे नर  बली चढ़ा है, जहाँ  -जहाँ  मदिर  बना है वहाँ   पर  आरटीफिसिल शक्ति  है। प्राकृतिक   शक्ति  साथ धार की तरफ  पहाड़  मे झरना के  पास प्राकृतिक  शँभू  शक्ति  विराजमान है। जय प्राकृतिक  शक्ति  बडा़देव !
[9/24, 8:06 AM] Santu Sori: हे कोयतूरसगाजन  हम सबके लिए  प्राकृतिक  संदेश  :-- झहम मानव प्राकृतिक  नियमोँ  से  भटक चुके हैँ, प्राकृतिक  शक्ति  बडा़देव के इरतिर भी नहीं  है, कोयतूर नियम प्राकृतिक  नियम है,लेकिन आज बाहुबली चल रहा है।  बाहरी  लोग जो किए जितना किए वो तो करके चले गए और कुछ बीज भी छोड़कर चले गायें  है।  आज हम नियम और परम्परा मानकर कई जगह गलत  कर रहे  है , सब गोञ के लिए गढ़ वयवस्था  प्राकृतिक  बना है देवकौडी़ /पेनकौडी़ सबगोञ के लिए  बना है, माटीगोटी गढ़किला का बटवारा प्राकृतिक  है। लेकिन आज अज्ञानीचु -अपने गढ़ किला  को छोड़ कर बाहुबली बाहरी  राजाओँ के नियमोँ के अनुसार हमारे बीच भी  एक  दूसरे  गांव   माटी  गढ़ माटी        परगना माटी बोसोकोस बस्तर रियासत माटी इतियादि माटियओँ मे प्राकृतिक  नियमो  से हटकर कोई भी  अपना  पेड़ मा गांयता बनकर सेवापुजा कर रहे हैँँ  इसनियम को कोयतूर वयवस्था  मे गँभिरता से विचाकरना होगा। जय प्राकृतिक  शक्ति  बडा़  देव !  जय  दनुय मनाय सोनाय !
[9/24, 12:08 PM] Santu Sori: हे कोयतूरसगालोर मावा मोनो, चिना ,बुढा़लपेन ता चिना सातखँडनेली औऊर नौवखँड भूम ता मुखियाल आँद। इदेचिना ते सबोय जियाना इदेचिना ते मनताँग । इद चिना ते सबोय सृष्टि मानता ।
[9/24, 1:18 PM] Santu Sori: हे कोयतूरसगालोर निमाट जो कोँडानाटोर माटी भूमियार ता बारे पुछेमातोरिट मावोर दादालोरिट,तो केँजाट ,नावाजँच ते  पोड़दगुमाबँश तो मावोर सम पाड़ तोर (१२) गोञ तोर कोराम दादा ना डिही डोँगर प्राकृतिक                             जाँच किलेते वेहायता ।

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